jai Shri Ram रामायण व सुन्दरकाण्ड (आवाहन) आवहु पवन कुमार विविध विप्र बुध गुरु धरण , बंदी कहऊ कर जोर l होई प्रसन्न पुर वहु सफल मन्जु मनोरथ मोरि l l राम कथा के रसिक तुम , भक्ति राजि मति धीर l आयसु आसन लीजिये , तेज पुत्रज कपि वीर l रामायन तुलसी कृत कहऊँ कथा अनुसार l प्रेम सहित आसन गहहु , आवहु पवन कुमार l दोहा लाल देह लाली लसै अरु -धरु लाल लंगूर l वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपिशूर ll शलोक : अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ गोष्पदीकृत वारीशं मशकीकृत रक्षासम l रामायण महामालारत्नं बहु निलात्मजम l l अन्जनि नन्दन वीर जानकी शोक नाशनं l कपीश मक्षहन्तारम वंदे लंका भयंकरम l l शलोक : गणपति शिवगिरा , महावीर बजरंग l विध्न रहित पूरण करहु , रघु वर कथा प्रसंग l l शलोक : तत्रेव गंगा यमुना त्रिवेणी , गोदावरी सिंधु सरस्वतीच l सर्वाणि तीर्थानि बसंति तत्र , यत्राच्तु तोदारि कथा प्रसंग : l l विदाई --जै जै ...