आठ
सिद्धियां, नौ
निधियां और दस गौण सिद्धियां (Asth Siddhi, Nav Niddhi and Das Gaun Siddhi)
Asth Siddhi, Nav Niddhi and Das Gaun
Siddhi in Hindi :
चौपाई:-अष्ट
सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन्ह जानकी माता ।। (31)
यह हनुमान
चालीसा की एक चौपाई जिसमे तुलसीदास जी लिखते है कि हनुमानजी अपने भक्तो को आठ प्रकार की
सिद्धयाँ तथा नौ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते हैं ऐसा सीतामाता ने उन्हे
वरदान दिया । यह अष्ट सिद्धियां बड़ी ही चमत्कारिक होती है जिसकी बदौलत हनुमान जी ने असंभव से लगने वाले काम आसानी से सम्पन किये थे। आइये अब हम आपको इन अष्ट
सिद्धियों,
नौ निधियों और भगवत पुराण में वर्णित दस गौण सिद्धियों के बारे में विस्तार से बताते है।
आठ सिद्धयाँ :
हनुमानजी को जिन आठ सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-
1.अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति
सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
इस सिद्धि का
उपयोग हनुमानजी तब किया जब वे समुद्र पार कर लंका पहुंचे थे। हनुमानजी ने अणिमा
सिद्धि का उपयोग करके अति सूक्ष्म रूप धारण किया और पूरी लंका का निरीक्षण किया
था। अति सूक्ष्म होने के कारण हनुमानजी के विषय में लंका के लोगों को पता तक नहीं
चला।
2. महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार
विशाल रूप धारण किया है।
जब हनुमानजी
समुद्र पार करके लंका जा रहे थे, तब बीच रास्ते में सुरसा नामक राक्षसी ने
उनका रास्ता रोक लिया था। उस समय सुरसा को परास्त करने के लिए हनुमानजी ने स्वयं
का रूप सौ योजन तक बड़ा कर लिया था।
इसके अलावा
माता सीता को श्रीराम की वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए महिमा सिद्धि का
प्रयोग करते हुए स्वयं का रूप अत्यंत विशाल कर लिया था।
3. गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का
भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।
गरिमा सिद्धि
का उपयोग हनुमानजी ने महाभारत काल में भीम के समक्ष किया था। एक समय भीम को अपनी
शक्ति पर घमंड हो गया था। उस समय भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमानजी एक वृद्ध
वानर रूप धारक करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठे हुए थे। भीम ने देखा कि एक वानर की पूंछ से रास्ते में
पड़ी हुई है,
तब भीम ने
वृद्ध वानर से कहा कि वे अपनी पूंछ रास्ते से हटा लें। तब वृद्ध वानर ने कहा कि
मैं वृद्धावस्था के कारण अपनी पूंछ हटा नहीं सकता, आप स्वयं हटा दीजिए। इसके बाद भीम वानर की
पूंछ हटाने लगे, लेकिन पूंछ टस से मस नहीं हुई। भीम ने पूरी शक्ति का उपयोग किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रकार भीम का
घमंड टूट गया।
4. लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार
बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।
जब हनुमानजी
अशोक वाटिका में पहुंचे, तब वे अणिमा और लघिमा सिद्धि के बल पर
सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वृक्ष के पत्तों में छिपे थे। इन पत्तों पर बैठे-बैठे
ही सीता माता को अपना परिचय दिया था।
5. प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी
वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।
रामायण में
इस सिद्धि के उपयोग से हनुमानजी ने सीता माता की खोज करते समय कई पशु-पक्षियों से
चर्चा की थी। माता सीता को अशोक वाटिका में खोज लिया था।
6. प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी
गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक
पानी में भी जीवित रह सकते हैं। इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे।
साथ ही,
वे अपनी
इच्छा के अनुसार किसी भी देह को कारण कर सकते हैं। इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु
को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं।
इस सिद्धि की
मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल का प्राप्त कर लिया है।
7. ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय
शक्तियां प्राप्त हुई हैं।
ईशित्व के
प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था। इस सिद्धि के कारण
ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा। साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को
भी फिर से जीवित कर सकते हैं।
8. वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी
जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।
वशित्व के
कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं। हनुमान के वश
में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से
हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं।
नौ निधियां :
हनुमान जी
प्रसन्न होने पर जो नव निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार
है
1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणो से संपन्न मनुष्य सात्विक
होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है ।
2. महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने
संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है ।
3. नील निधि : निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेजसे
संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढीतक रहती है।
4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण
संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।
5. नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस
गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है ।
6. मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह
करनेवाला होता है ।
7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला
होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है ।
8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढी के लिए होती है।
9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रीत
फल दिखाई देते हैं ।
दस गौण सिद्धियां :
इसके अलावा भगवत पुराण में भगवान कृष्ण ने दस गौण
सिद्धियों का वर्णन और किया है जो निम्न प्रकार है-
1. अनूर्मिमत्वम्
2. दूरश्रवण
3. दूरदर्शनम्
4. मनोजवः
5. कामरूपम्
6. परकायाप्रवेशनम्
7. स्वछन्द मृत्युः
8. देवानां सह क्रीडा अनुदर्शनम्
9. यथासंकल्पसंसिद्धिः
10. आज्ञा अप्रतिहता गतिः
2. दूरश्रवण
3. दूरदर्शनम्
4. मनोजवः
5. कामरूपम्
6. परकायाप्रवेशनम्
7. स्वछन्द मृत्युः
8. देवानां सह क्रीडा अनुदर्शनम्
9. यथासंकल्पसंसिद्धिः
10. आज्ञा अप्रतिहता गतिः
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